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Kairana, Surkhiyon Ke Baad… (Kariana, After the Headlines…) || कैराना, सुर्ख़ियों के बाद… -CCA

Kairana, Surkhiyon Ke Baad… (Kariana, After the Headlines…) || कैराना, सुर्ख़ियों के बाद… -CCA

कैराना, पश्चिम उत्तर प्रदेश के शामली ज़िले का एक छोटा सा क़स्बा पिछले दिनों सुर्ख़ियों में रहा l जून 2016 में भारतीय जनता पार्टी से कैराना के सांसद, हुकुम सिंह ने दावा किया के मुस्लिम बहुल कैराना से मुसलमानों के सताय जाने की वजह से कस्बे के हिन्दू भारी मात्रा में पलायन कर रहे हैं l इस इलज़ाम को साबित करने के लिए उन्होंने कैराना से तथाकथित पलायन किये हुए 346 हिन्दू परिवारों की एक लिस्ट भी जारी की l ज़्यादा समय नहीं लगा और हुकुम सिंह की लिस्ट झूटी साबित हो गई l लिस्ट में कई लोग अभी भी कैराना में रह रहे हैं, कुछ एक दशक से पहले आर्थिक कारणों से कैराना छोड़ चुके थे l जहाँ कुछ लोगों ने बिगड़ती हुई क़ानून व्यवस्था को भी कारण बताया, किसी ने भी हिन्दू-मुस्लिम विवाद को इसका कारण नहीं बताया l
चलचित्र अभियान और द वायर की संयुक्त पेशकश, ‘कैराना सुर्ख़ियों के बाद… ‘, कैराना कसबे की राजनीति और उसके मुद्दों को हिन्दू बनाम मुसलमान की दायरे से बाहर ले जाने की कोशिश करती है l
फिल्म में कैराना के कई लोगों से बात होती है- वहाँ के मुस्लिम नौजवानों से, हिन्दु और जैन समाज के लोगों से, वहाँ के मज़दूरों से, वहाँ की महिलाओं से और कसबे के दलितों से l यह कस्बा, उत्तर प्रदेश (और शायद भारत) के कई और कस्बों की तरह अपने असली मुद्दों से दूर हट के धार्मिक ध्रुवीकरण के मुद्दे में खो रहा है l एक ऐसा मुद्दा जो यहाँ के प्रभावशाली नेता कैराना के लोगों पर थोप रहें हैं l
जहाँ राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की कैराना की रिपोर्ट भी यह दावा करती है कि कैराना के मुस्लिम मर्द कैराना की हिन्दू महिलाओं को छेड़ते हैं, यह फिल्म ऐसे बयानों को गहराई से तहकीकात करने की कोशिश करती है, कि कैसे दोनों धर्मों की महिलाओं पर दोनों धर्मों के मर्दों से एक पितृसत्तात्मक हमला है l कैरना के दलित कहते हैं कि वह दोनों धर्मों की दबंग जातियों के लोगों से जाति उत्पीड़न झेलते हैं l मुस्लिम नौजवान और मज़दूर वहाँ की बेरोज़गारी और निम्न सुविधाओं की कमी पर बात करते हैं- ऐसे मुद्दें जिसके चलते कैराना में अपराधीकरण बढ़ रहा है l इस अपराधीकरण के चलते वहाँ के दोनों, हिन्दू और मुसलमान त्रस्त हैं l कैराना के हिंदू और जैन समाज के लोग बताते हैं कि वहाँ के मुसलमानों से उन्होंने कभी भी ख़तरा नही महसूस किया l इन सब दुःखद कहानियों के बीच यह फिल्म कैराना के लोगों की प्रतिरोध की कहानियों को सामने लाने की कोशिश करता हैं जहाँ वो अपने असली मुद्दों को सामने लाने की कोशिश करते हैं l

टीम- अमृत राज, इमरान खान, नकुल सिंह साहनी

Kairana, a small town in western Uttar Pradesh’s Shamli district has recently been in the headlines. In June 2016, Kairana’s MP, Hukum Singh, who is from the Bharatiya Janata Party, claimed that there was an exodus of Hindus from Muslim-majority Kairana because of harassment by Muslims. To substantiate his allegation, he released a list of 346 Hindu families who had supposedly migrated from the town. It didn’t take long, but the list was soon discredited. Many in the list were still living in Kairana, some had moved out over a decade ago for economic reasons, and while some did claim that deteriorating law and order was a serious concern, no one attributed their migration from Kairana to a Hindu-Muslim conflict.

Kairana, Surkhiyon ke Baad…’ (Kairana, After the Headlines…) – produced by Chalchitra Abhiyan and The Wire – attempts to look at the town and its politics, and the issues that affect it, beyond the binaries of Hindu versus Muslim. The film speaks to a range of voices from Kairana – from Muslim youth, to Hindus and Jains, the workers who have to travel far from the town for their daily wages, Dalits and women. The town, like many others in UP (and perhaps India) is today confronted with the grim reality of its real issues being glossed over under the shrill rhetoric of religious polarisation imposed on residents by influential politicians.

Even as the recent National Human Rights Commission report on Kairana gives credence to Hindu right wing claims that Kairana’s Muslim men selectively molest Hindu women, my film tries to scratch beneath the surface of such claims to reveal the larger patriarchal assault on women of both religions, by men of both religions. The Dalits of Kairana speak of how they’re at the receiving end of caste hierarchies upheld by dominant caste men of both religions. Muslim youth and workers speak of stark issues of unemployment in the town and the lack of any basic amenities – factors that are leading to growing criminalisation of the youth. A criminalisation that both Hindus and Muslims are victim to. The Hindus and the Jains of Kairana speak of how they’ve never felt vulnerable in a Muslim majority town.

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In the midst of this despair, the film tries to look at the daily resistance of the people of Kairana and their struggles to bring back to the fore the real issues that afflict them.

Crew- Amrit Raj, Imran Khan, Nakul Singh Sawhney

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