कुछ महीनें पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दलित समाज के कुछ वाल्मीकि सफ़ाई कर्मचारियों के कुम्भ में पैर धोए। जहाँ एक तरफ़ भाजपा और मीडिआ के कुछ लोगों ने इसे एक इतिहासिक क़दम माना, वहीं दूसरी ओर दलित कार्यकर्ताओं का यह कहना था कि यह ढोंग है और सरकार ने वाल्मीकि सफ़ाई कर्मचारियों के हालात सुधारने के लिए कुछ नहीं किया, जिन्हें आज भी गटर में उतर कर उसे साफ़ करना और मैला ढोने जैसे अमानवीय काम करने होते हैं। चलचित्र अभियान ने वाल्मीकि समाज के कुछ नौजवानों से बात करी और पता करने की कोशिश की कि उनके समाज के सामने क्या समस्याएँ हैं और प्रधान मंत्री के इस कार्य को वह कैसे देखते हैं?
टीम : विशाल स्टोनवाल, नकुल सिंह साव्हने
Some months back, Prime Minister Narendra Modi washed the feet of five Valmiki Dalit sanitary workers at Kumbh. While some sections of the media and BJP hailed it as a historic step, many Dalit activists rubbished it as a gimmick to woo Dalit votes. The activists claim that the government has done nothing to improve the plight of sanitary workers, many of who still have to do the inhuman job of manual scavenging. ChalChitra Abhiyaan spoke to some Valmiki Dalit youth from Mathura to understand the issues that confront their community and what they think about this action by PM Modi.
Crew- Nakul Singh Sawhney, Vishal Stonewall
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